प्रोलैक्टिन  क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और उपचार

प्रोलैक्टिन क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और उपचार

प्रोलैक्टिन एक हार्मोन है जिसे पिट्यूटरी ग्रंथि (मस्तिष्क के आधार पर स्थित) द्वारा स्रावित किया जाता है। यह मुख्य रूप से स्त्रियों में दूध उत्पादन को नियंत्रित करता है और गर्भावस्था व स्तनपान के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुरुषों में भी यह हार्मोन पाया जाता है, जहां इसका स्तर कम रहता है। प्रोलैक्टिन का असामान्य स्तर शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, जैसे अनियमित मासिक धर्म, बांझपन, या पुरुषों में यौन समस्याएं। प्रोलैक्टिन के स्तर की जांच खून की जांच से की जाती है, और इलाज डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाओं या अन्य तरीकों से किया जाता है।

  • प्रोलैक्टिन एक प्रकार का हार्मोन है जिसे पिट्यूटरी ग्रंथि बनाती है।

  • यह मुख्य रूप से दूध उत्पादन (लैक्टेशन) को प्रोत्साहित करने में मदद करता है।

  • यह हार्मोन महिलाओं और पुरुषों दोनों में पाया जाता है।

  • प्रोलैक्टिन का स्तर शरीर में कई शारीरिक कार्यों को प्रभावित करता है।

  • यह प्रजनन स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रणाली में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रोलैक्टिन हार्मोन क्यों बढ़ता है?


प्रोलैक्टिन हार्मोन शरीर में मुख्य रूप से पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा बनता है और यह दूध उत्पादन के लिए ज़िम्मेदार होता है। इसका स्तर कई कारणों से बढ़ सकता है, जैसे गर्भावस्था, स्तनपान, तनाव, या दवाओं का उपयोग। पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर (प्रोलैक्टिनोमा) भी इसका कारण हो सकता है। थायरॉयड की समस्याएं या किडनी और लिवर की बीमारियां भी प्रोलैक्टिन बढ़ा सकती हैं। अत्यधिक व्यायाम, नींद की कमी, या हार्मोनल असंतुलन भी इसके स्तर को प्रभावित कर सकते हैं। यदि इसका स्तर अधिक हो, तो मासिक धर्म में गड़बड़ी, बांझपन, और दूध स्राव जैसे लक्षण हो सकते हैं।

  • गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसका स्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है।

  • पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर (प्रोलैक्टिनोमा)।

  • थायरॉयड की समस्या जैसे हाइपोथायरायडिज्म।

  • कुछ दवाइयां, जैसे एंटीडिप्रेसेंट और एंटी-साइकोटिक।

  • तनाव और अधिक व्यायाम।

  • किडनी और लीवर की समस्याएं।

  • हार्मोनल असंतुलन।

प्रोलैक्टिन कितना होना चाहिए?

प्रोलैक्टिन एक हार्मोन है जो पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होता है। इसका स्तर पुरुषों और महिलाओं में अलग होता है। महिलाओं में प्रोलैक्टिन का सामान्य स्तर 4.8 से 23.3 नैनोग्राम/मिलीलीटर और पुरुषों में 4.0 से 15.2 नैनोग्राम/मिलीलीटर होता है। गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं में इसका स्तर 20 से 400 नैनोग्राम/मिलीलीटर तक बढ़ सकता है। प्रोलैक्टिन का उच्च स्तर (हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया) बांझपन, मासिक धर्म की अनियमितता और कामेच्छा में कमी का कारण बन सकता है। जबकि निम्न स्तर दुर्लभ होते हैं और हार्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकते हैं। सही स्तर जानने के लिए डॉक्टर से परामर्श आवश्यक है।

  • सामान्य प्रोलैक्टिन स्तर व्यक्ति की उम्र और लिंग पर निर्भर करता है।

  • आमतौर पर:

  • पुरुष: 2 से 18 नैनोग्राम/मिलीलीटर।

  • महिलाएं (गैर-गर्भवती): 2 से 25 नैनोग्राम/मिलीलीटर।

  • गर्भवती महिलाएं: 10 से 209 नैनोग्राम/मिलीलीटर।

  • विशेष परिस्थितियों में डॉक्टर इसे और अधिक स्पष्ट रूप से जांचते हैं।

उम्र के हिसाब से सामान्य प्रोलैक्टिन स्तर


प्रोलैक्टिन एक हार्मोन है जो मुख्य रूप से दूध उत्पादन के लिए जिम्मेदार होता है। इसका स्तर उम्र, लिंग और शारीरिक स्थिति के अनुसार बदलता है।

  • 20-30 वर्ष: लगभग 15-25 नैनोग्राम/मिलीलीटर।

  • 30-40 वर्ष: लगभग 10-20 नैनोग्राम/मिलीलीटर।

  • 40 वर्ष से ऊपर: 5-15 नैनोग्राम/मिलीलीटर।

  • बच्चों में प्रोलैक्टिन का स्तर वयस्कों से भिन्न हो सकता है।

प्रोलैक्टिन टेस्ट की लागत

प्रोलैक्टिन टेस्ट एक रक्त जांच है जो शरीर में प्रोलैक्टिन हार्मोन के स्तर को मापता है। इसका उपयोग हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया, इनफर्टिलिटी, या थायरॉइड समस्याओं की पहचान के लिए किया जाता है। प्रोलैक्टिन टेस्ट की कीमत भारत में ₹300 से ₹800 तक हो सकती है। कीमत लैब, शहर, और टेस्टिंग तकनीक पर निर्भर करती है। बड़े शहरों में यह थोड़ा महंगा हो सकता है, जबकि छोटे शहरों में किफायती रहता है। यह विषय प्रोलैक्टिन टेस्ट की कीमत के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

  • प्रोलैक्टिन टेस्ट की कीमत ₹500 से ₹1500 तक हो सकती है।
    IVF केंद्र: दिल्ली में IVF केंद्र प्रजनन स्वास्थ्य परीक्षण, जैसे प्रोलैक्टिन टेस्ट, प्रदान करते हैं।

  • Pride IVF: Pride IVF एक प्रमुख IVF केंद्र है, जो प्रोलैक्टिन टेस्ट सहित विभिन्न उपचार विकल्प प्रदान करता है।

  • उपचार विकल्प: प्रोलैक्टिन टेस्ट के परिणामों के आधार पर हार्मोनल उपचार या अन्य विकल्प दिए जा सकते हैं।

  • दिल्ली में प्रोलैक्टिन टेस्ट: दिल्ली में प्रोलैक्टिन टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है, जो महिलाओं के हार्मोनल असंतुलन का पता लगाने में मदद करता है।

  • प्रजनन मूल्यांकन: यह परीक्षण प्रजनन मूल्यांकन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे प्रजनन समस्याओं का निदान किया जा सकता है।

  • प्रजनन समस्याएं: प्रोलैक्टिन का उच्च स्तर प्रजनन समस्याओं, जैसे अनियमित मासिक धर्म या गर्भधारण में कठिनाई, का कारण बन सकता है।

  • प्रोलैक्टिन परीक्षण: यह रक्त परीक्षण शरीर में प्रोलैक्टिन के स्तर का पता लगाने के लिए किया जाता है।

  • भारत में प्रोलैक्टिन टेस्ट की कीमत: भारत में प्रोलैक्टिन टेस्ट की कीमत ₹500 से ₹1500 तक हो सकती है।

  • रक्त परीक्षण: प्रोलैक्टिन टेस्ट एक सरल रक्त परीक्षण है, जिसे फास्टिंग के बिना किया जा सकता है।

  • हार्मोनल स्वास्थ्य: प्रोलैक्टिन टेस्ट हार्मोनल स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने में मदद करता है, खासकर गर्भधारण क्षमता पर प्रभाव डालने वाले हार्मोनल असंतुलन को पहचानने में।

प्रोलैक्टिन हार्मोन असंतुलन के लक्षण

प्रोलैक्टिन हार्मोन असंतुलन के कई लक्षण हो सकते हैं। महिलाओं में अनियमित माहवारी, दूध का अनावश्यक स्राव (गर्भावस्था या स्तनपान न होने पर), बांझपन, और कामेच्छा में कमी इसके सामान्य संकेत हैं। पुरुषों में यह लक्षण यौन कमजोरी, कामेच्छा में कमी, और शुक्राणुओं की संख्या में कमी के रूप में दिख सकते हैं। सिरदर्द और दृष्टि संबंधी समस्याएं दोनों ही लिंगों में असंतुलन का संकेत दे सकती हैं, खासकर जब यह पिट्यूटरी ग्रंथि से जुड़ा हो। तनाव, थकान, और मूड स्विंग भी इसके अन्य लक्षण हो सकते हैं। सही निदान के लिए डॉक्टर से परामर्श आवश्यक है। 

  1. अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स का न होना।

  2. बांझपन।

  3. दूध का असामान्य उत्पादन (गर्भावस्था या स्तनपान के बिना)।

  4. सिरदर्द और धुंधला दृष्टि।

  5. यौन इच्छा में कमी।

  6. त्वचा पर मुंहासे या अन्य समस्याएं।

  7. बाल झड़ना।

महिलाओं में लक्षण

महिलाओं में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण उनके शरीर के अलग-अलग हिस्सों में हो सकते हैं। अनियमित माहवारी, अत्यधिक दर्द, थकान, या खून की कमी महिला प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के संकेत हो सकते हैं। स्तनों में गांठ, वजन का अचानक बढ़ना या घटना, बालों का अधिक झड़ना, या चेहरे पर अतिरिक्त बाल आना हार्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकते हैं। बार-बार पेशाब आना या पेशाब में जलन संक्रमण का लक्षण हो सकता है। पेट दर्द, उल्टी, या सुस्ती जैसे लक्षण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से जुड़े हो सकते हैं। समय पर डॉक्टर से परामर्श इन समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी है।

  •  ओव्यूलेशन में कठिनाई।

  • चेहरे पर बालों का बढ़ना।

  • पिंपल्स।

  • अनियमित मासिक धर्म।

  • गर्भधारण में समस्या।

  • स्तन में दर्द।

 

पुरुषों में लक्षण

पुरुषों में कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जो स्वास्थ्य या भावनात्मक स्थिति से संबंधित हो सकते हैं। इनमें थकावट, मूड स्विंग्स, वजन बढ़ना, सेक्स ड्राइव में कमी, बालों का झड़ना, और नींद की समस्याएं शामिल हो सकती हैं। हार्मोनल असंतुलन, जैसे टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होना, भी पुरुषों में लक्षण उत्पन्न कर सकता है। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं जैसे तनाव, चिंता, और अवसाद भी लक्षणों का कारण हो सकती हैं। अगर इन लक्षणों में बदलाव महसूस हो तो एक डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।

  • टेस्टोस्टेरोन का कम स्तर।

  • मांसपेशियों की कमजोरी।

  • स्तनों का बढ़ना (गायनेकोमैस्टिया)।

  • बांझपन।

  • यौन क्षमता में कमी।

  • मूड स्विंग और थकावट।

प्रोलैक्टिन के बढ़ने पर क्या होता है?

प्रोलैक्टिन एक हार्मोन है जो मुख्य रूप से महिलाओं में दूध उत्पादन को नियंत्रित करता है। जब प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ जाता है, तो इससे कई समस्याएँ हो सकती हैं। महिलाओं में मासिक धर्म रुक सकता है, अंडोत्सर्ग में रुकावट आ सकती है, और गर्भधारण में समस्या हो सकती है। पुरुषों में, इससे यौन क्षमता में कमी, कमजोर इच्छाशक्ति और स्तन Enlargement जैसी समस्याएं हो सकती हैं। उच्च प्रोलैक्टिन स्तर के कारण महिलाओं में दूध उत्पादन भी हो सकता है, जिससे असामान्य लैक्टेशन (galactorrhea) हो सकता है। यह स्थिति आमतौर पर ट्यूमर, दवाइयों या थायरॉयड की समस्याओं के कारण होती है।

  • महिलाओं में प्रजनन समस्याएं हो सकती हैं।

  • पुरुषों में यौन क्षमता में कमी हो सकती है।

  • मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, जैसे अवसाद।

  • लंबे समय तक स्तर बढ़ा रहने से हड्डियों की कमजोरी हो सकती है।

  • शरीर में अन्य हार्मोनों का असंतुलन हो सकता है।

प्रोलैक्टिन हार्मोन के कारण


यह विषय प्रोलैक्टिन हार्मोन के बढ़ने के विभिन्न कारणों की चर्चा करता है।

  • यह विषय प्रोलैक्टिन हार्मोन के बढ़ने के विभिन्न कारणों की चर्चा करता है।

  • एंटीडिप्रेसेंट: कुछ दवाएं प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ा सकती हैं।

  • एंटीसाइकोटिक्स: एंटीसाइकोटिक दवाएं भी प्रोलैक्टिन स्तर को प्रभावित कर सकती हैं।

  • किडनी रोग: किडनी की बीमारी प्रोलैक्टिन को बढ़ा सकती है।

  • गर्भावस्था: गर्भावस्था में प्रोलैक्टिन का स्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ता है।

  • डोपामाइन: डोपामाइन का असंतुलन प्रोलैक्टिन वृद्धि का कारण बन सकता है।

  • तनाव: मानसिक तनाव प्रोलैक्टिन के स्तर को प्रभावित कर सकता है।

  • पिट्यूटरी ग्रंथि: पिट्यूटरी ग्रंथि की समस्या प्रोलैक्टिन के असामान्य स्तर का कारण बन सकती है।

  • प्रजनन यात्रा: गर्भधारण में कठिनाई प्रोलैक्टिन असंतुलन से जुड़ी हो सकती है।

  • प्रोलैक्टिनोमा: यह ट्यूमर प्रोलैक्टिन का उत्पादन बढ़ा सकता है।

  • लीवर सिरोसिस: लीवर रोग प्रोलैक्टिन के स्तर को प्रभावित कर सकता है।

  • हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया: प्रोलैक्टिन का अत्यधिक उत्पादन इस स्थिति का कारण हो सकता है।

  • हाइपोथायरायडिज्म: थायरॉयड की कमी प्रोलैक्टिन वृद्धि का कारण बन सकती है

उच्च प्रोलैक्टिन के परिणाम

उच्च प्रोलैक्टिन स्तर (हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया) के परिणामस्वरूप विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। महिलाओं में यह समस्या मासिक धर्म अनियमितता, बांझपन और अत्यधिक स्तन दूध (galactorrhea) का कारण बन सकती है। पुरुषों में भी यह लक्षण दिख सकते हैं, जैसे यौन समस्याएं, स्तन में सूजन और संतानोत्पत्ति में कमी। उच्च प्रोलैक्टिन स्तर का कारण पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर, दवाइयों का सेवन, या थायरॉइड की समस्याएं हो सकती हैं।

  • बांझपन: महिलाओं और पुरुषों दोनों में।

  • मोटापा और वजन बढ़ना।

  • हड्डियों का कमजोर होना (ऑस्टियोपोरोसिस)।

  • पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर का खतरा।

  • त्वचा की समस्याएं, जैसे मुंहासे।

  • प्रजनन तंत्र में दीर्घकालिक समस्याएं।

  • स्तन कैंसर का खतरा (कुछ मामलों में)।

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

डॉक्टर से संपर्क करना महत्वपूर्ण है जब आपको कोई स्वास्थ्य समस्या महसूस हो या जब आपकी तबीयत बिगड़ने लगे। अगर आपको बुखार, शरीर में दर्द, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, या अन्य कोई असामान्य लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें, जानिए ओवेरियन सिस्ट क्या होता है। इसके अलावा, यदि आप लगातार थकान महसूस करते हैं, वजन में अचानक बदलाव होता है, या किसी पुराने रोग से जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें। गर्भावस्था, शारीरिक चोट, या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए भी डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

  • अगर अनियमित पीरियड्स हो रहे हैं।

  • गर्भधारण में समस्या आ रही है।

  • यौन इच्छा में कमी महसूस हो रही है।

  • बार-बार सिरदर्द और धुंधला दृष्टि हो रही है।

  • थकावट और कमजोरी महसूस हो रही है।

प्रोलैक्टिन असंतुलन का उपचार

प्रोलैक्टिन असंतुलन का उपचार हॉर्मोनल असंतुलन को ठीक करने पर निर्भर करता है। इसे आमतौर पर दवाओं के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है, जैसे कि ब्रोमोक्रिप्टिन और कार्बीगोलीन, जो प्रोलैक्टिन स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। डॉक्टर द्वारा रक्त परीक्षण और न्यूरोइमेजिंग तकनीक जैसे MRI से जांच की जाती है, ताकि किसी ट्यूमर या अन्य कारण का पता चल सके। इसके अलावा, जीवनशैली में बदलाव, सही आहार और मानसिक तनाव कम करने के उपाय भी महत्वपूर्ण हैं। उपचार के बाद प्रोलैक्टिन स्तर सामान्य हो सकते हैं और प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। 

  • दवाइयां: जैसे ब्रोमोक्रिप्टीन और कैबरगोलिन।

  • सर्जरी: यदि पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर हो।

  • रेडिएशन थेरेपी: ट्यूमर के इलाज के लिए।

  • लाइफस्टाइल में बदलाव: स्वस्थ जीवनशैली अपनाना।

 

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About Author

Dr. Aayush Mittal

Studied at Govt. Sr. Sec. School, he has established himself into a renowned personality after becoming an experienced dentist and cosmetic implantologist. He received his bachelors in BDS from Dr Vasantrao Pawar Medical College, Nashik. After receiving the bachelors, he became the resident doctor at Sardar Patel Medical College and PBM Hospital, Bikaner Rajasthan, India. After that, he received his fellowship from the USA and specialty, i.e, MDS from Jaipur National University Institute For Medical Sciences & Research Centre, 302017

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